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Showing posts from September, 2019

एन आर सी : एक विश्लेषण

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              "NRC ( National register of citizen)"                                    " भारतीय नागरिकता रजिस्टर " एन आर सी का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में 31 अगस्त 2019 को एनआरसी की आखिरी लिस्ट जारी हुई, जिसमें 19 लाख लोगों लिस्ट से बाहर हुए।  यहां हम आपको बता दें कि है यह एनआरसी का आखिरी अपडेशन था। यह फाइनल सूची है जिसमें 19 लाख लोग बाहर हुए हैं।      इससे पहले जुलाई 2018 में जारी ड्राफ्ट में बाहर हुए लोगों की संख्या 40 लाख थी।  जिनमें से आधे को  एनआरसी सूची में शामिल कर लिया गया है ,उन पर  से विदेशी होने का कलंक मिट गया है।  31 अगस्त 2019 को सूची जारी होती हुई है स्थानीय संगठनों ने विरोध और प्रदर्शन शुरू कर दिए।     इससे आशंका जाहिर होती है  की आखरी सूची तो जारी हो गई है  लेकिन कहीं ना कहीं नागरिकता संबंधी विवादों का मूल अभी वही बना हुआ है। अब भी दिमाग में बार-बार सवाल  ...

जम्मू कश्मीर से 370 की समाप्ति :एक सरहनीय कदम

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अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है...  कश्मीर के बारे में कहा गया है :                   "गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त                    हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त"          (धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है,तो यहीं है, यहीं है, यही हैं) धरती के स्वर्ग : जम्मू कश्मीर में दशकों पहले हुई एक ऐतिहासिक भूल को अंतत: सुधार लिया गया। सरकार बधाई की पात्र है ,यह एक साहसिक और सराहनीय कदम है।                   धारा 370 को हटाने की मांग लंबे अरसे से चली आ रही थी कई सरकारें आई परंतु इस संबंध में प्रतिक्रिया देने में हिचती रही और यह धारा संविधान का सतत हिस्सा बनी रही ।          इसके पीछे मूल कारण सरकारों का जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के प्रति उदार दृष्टिकोण रहा साथ ही केंद्रीय सरकार राजनीतिक दबाव, धार्मिक भावनाओं के आहत होने एवं हिंसक घटनाओं से आशंकित भी रहती थीं वे इस संवेदनशील मुद्दे ...

भारत मैं फैलता उन्मादी साम्प्रदायिक भीड़ तंत्र

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       एक भारत यह भी !  आज हिंदुस्तान के लोग जिस तहर बात -बात पर उन्मादी और उग्र होने लगे उससे यही लगता की हिंदुस्तान की 90  फ़ीसदी आबादी मूर्ख है।वह आसानी से उग्र भीड़ में परिवर्तित हो जाती है और बड़े पैमाने पर अपने ही क्षेत्र के संसाधनों को बर्बाद करती है और अन्य धर्म और संप्रदाय के लोगों  मैं डर बैठाया जाता है  कि हम बहुसंख्यक हैं  और यह एक ओर से नहीं  बल्कि  उनकी ओर से भी किया जाता है जो अल्पसंख्यक हैं  और इसी का वास्ता देकर हिंसक प्रदर्शन और  गतिविधियों को अंजाम देते हैं ।   भारतीय लोगों का चरित्र इस तरह का कभी नही रहा , पहले भी  विविधता थी  परंतु लोग आपसी मेलजोल और सहजता से रहते थे  और किसी  को भी  किसी अन्य धर्म और संप्रदाय  के लोगों से डर नहीं लगता था  लेकिन आज आए दिन सुनने में आता है  की  हमें डर है ...और मजे की बात यह है  की पता भी नहीं डर किस बात का है  ,बस उन्हें तो डर है ।और इसके उत्तर में सामने वाला समूह  कहता है  तो फिर आप पाकिस्...