जम्मू कश्मीर से 370 की समाप्ति :एक सरहनीय कदम
अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है...
कश्मीर के बारे में कहा गया है :
"गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त
हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त"
(धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है,तो यहीं है, यहीं है, यही हैं)
धरती के स्वर्ग : जम्मू कश्मीर में दशकों पहले हुई एक ऐतिहासिक भूल को अंतत: सुधार लिया गया। सरकार बधाई की पात्र है ,यह एक साहसिक और सराहनीय कदम है।
धारा 370 को हटाने की मांग लंबे अरसे से चली आ रही थी कई सरकारें आई परंतु इस संबंध में प्रतिक्रिया देने में हिचती रही और यह धारा संविधान का सतत हिस्सा बनी रही ।
इसके पीछे मूल कारण सरकारों का जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के प्रति उदार दृष्टिकोण रहा साथ ही केंद्रीय सरकार राजनीतिक दबाव, धार्मिक भावनाओं के आहत होने एवं हिंसक घटनाओं से आशंकित भी रहती थीं वे इस संवेदनशील मुद्दे का बातचीत के जरिए कोई समाधान निकालने के पक्ष में रहीं परंतु अलगाववादी कश्मीर के लोगों की भावनाओं को राजनीतिक लाभ के लिए भुनाते रहे । अलगावादी इससे भी सहमत ना होते कि धारा 370 समाप्त हो जबकि लेह-लद्दाख का पृथक्करण और राज्य का दर्जा छीनना तो दूर की कौड़ी थी। यथा सरकार द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पूर्णता उचित है क्योंकि यहां विकल्पों का अभाव है और जो विकल्प हैं भी उनसे यह करना लगभग असंभव होता ।
कई बार हमें राष्ट्रीय मूल्यों हेतु मानवीय,सामाजिक और व्यक्तिगत मूल्यों को ताक पर रखना पड़ता है। यद्धपि कुछ अतिबुद्धिवादी इसका विरोध कर रहे हैं दूसरी ओर देश में लोग जश्न मना रहे हैं जो होना भी चाहिए बशर्ते उस सीमा तक जो दूसरों की भावनाओं को ठेस ना पहुंचाए और ना ही इसे हम मुसलमानों पर हिंदुओं की जीत की तरह पेश करना चाहिए।
जम्मू कश्मीर हमारा अभिन्न अंग था और रहेगा यह भारत की किसी बाहरी क्षेत्र पर विजय नहीं सिर्फ उस नासूर की शल्य क्रिया है जो लंबे अरसे से परेशान किए हुए था।
धारा 370 हटाने को लेकर आपकी क्या ? राय है comment बॉक्स हमे जरूर बतायें .? ?
अंत में दो पैरा में बहुत ही शानदार और उमदा प्राक्कल्पना की है।
ReplyDeleteअंत में दो पैरा में बहुत ही शानदार और उमदा प्राक्कल्पना की है।
ReplyDelete