भारत मैं फैलता उन्मादी साम्प्रदायिक भीड़ तंत्र

       एक भारत यह भी ! 

आज हिंदुस्तान के लोग जिस तहर बात -बात पर उन्मादी और उग्र होने लगे उससे यही लगता की हिंदुस्तान की 90  फ़ीसदी आबादी मूर्ख है।वह आसानी से उग्र भीड़ में परिवर्तित हो जाती है और बड़े पैमाने पर अपने ही क्षेत्र के संसाधनों को बर्बाद करती है और अन्य धर्म और संप्रदाय के लोगों  मैं डर बैठाया जाता है  कि हम बहुसंख्यक हैं  और यह एक ओर से नहीं  बल्कि  उनकी ओर से भी किया जाता है जो अल्पसंख्यक हैं  और इसी का वास्ता देकर हिंसक प्रदर्शन और  गतिविधियों को अंजाम देते हैं ।


  भारतीय लोगों का चरित्र इस तरह का कभी नही रहा , पहले भी  विविधता थी  परंतु लोग आपसी मेलजोल और सहजता से रहते थे  और किसी  को भी  किसी अन्य धर्म और संप्रदाय  के लोगों से डर नहीं लगता था  लेकिन आज आए दिन सुनने में आता है  की  हमें डर है ...और मजे की बात यह है  की पता भी नहीं डर किस बात का है  ,बस उन्हें तो डर है ।और इसके उत्तर में सामने वाला समूह  कहता है  तो फिर आप पाकिस्तान चले जाइए ।

   आज लोग सबसे ज्यादा  उन्मादी , और उग्र धार्मिक संदर्भ को लेकर होते हैं अगर कहीं भी धर्म से संबंधित छोटी सी घटना भी होती है तो उसके पीछे का बिना उचित कारण जाने और बिना यह समझे कि यह किसी की शरारत हो सकती है।  लोग सड़कों पर आ जाते हैं और सरकारी संसाधनों और कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करते हैं तथा हिंसक प्रदर्शन करते हैं चाहे  बात गाय काटने की हो या सूअर काटने की या फिर पद्मावत  जैसी फिल्मों पर प्रतिक्रिया की हिंसा  और बिना सोची-समझी प्रतिक्रिया दोनों ओर से होती है। 

    इन सब हिंसक प्रदर्शनों और गतिविधियों और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने से नुकसान सिर्फ और सिर्फ हमारा ही है जो आने वाले समय मैं और घातक परिस्थितियां पैदा करेगा और भारत की  विविधता में एकता की संस्कृति को  नष्ट कर देगा। 

   एक दूसरे दृष्टिकोण से सोचा जाए तू कहीं ना कहीं  प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यह सब राजनीति से प्रेरित लगता है लोगों को मंदिर,मस्जिद, गाय, सुअर और पद्मावत जैसे मुद्दों पर सिर्फ वोट बैंक बनाने के लिए बांटा जाता है। तभी तो इस तरह के मुद्दे सिर्फ चुनाव  हो जाने तक चलते हैं और चुनाव के बाद गायब हो जाते है। 

 लोगों को किसी भी हिंसक प्रतिक्रिया देने से पहले उस पर सोचना चाहिए कि यह उचित है इससे हमे कोई लाभ भी है या हमारी भावनाओ का  राजनीतिक लाभ लिया जा रहा ह

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